गोरखनाथ जी, जिन्हें गुरु गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के एक महान योगी और संत हैं। गोरखनाथ जी ने योग की शिक्षा को लोकप्रिय बनाया और उन्होंने अपनी शिक्षाओं से लाखों लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर किया। गोरखनाथ चालीसा गोरखनाथ जी की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों द्वारा नियमित रूप से उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
इस लेख में, हम गोरखनाथ चालीसा के महत्व, लाभ और गोरखनाथ चालीसा लिरिक्स (Gorakhnath Chalisa Lyrics in Hindi) को विस्तार से जानेंगे।
गोरखनाथ चालीसा का महत्व
गोरखनाथ चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इसे प्रतिदिन सुबह और शाम को पढ़ने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गोरखनाथ जी की आराधना से व्यक्ति के सभी संकटों का निवारण होता है और उन्हें स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
गोरखनाथ चालीसा के लाभ
- मानसिक शांति: गोरखनाथ चालीसा का पाठ मानसिक शांति और एकाग्रता को बढ़ाता है।
- संकटों से मुक्ति: भक्तों के जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने में यह चालीसा सहायक होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: नियमित पाठ से आत्मज्ञान और आध्यात्मिक विकास होता है।
- स्वास्थ्य लाभ: इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
Gorakhnath Chalisa Lyrics in Hindi
गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार |
हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार ||
चोपाई
जय जय जय गोरक्ष अविनाशी, कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ।
जय जय जय गोरक्ष गुणखानी, इच्छा रुप योगी वरदानी ॥
अलख निरंजन तुम्हरो नामा, सदा करो भक्तन हित कामा।
नाम तुम्हारो जो कोई गावै, जन्म जन्म के दुःख नसावै ॥
जो कोई गोरक्ष नाम सुनावै, भूत पिसाच निकट नही आवै।
ज्ञान तुम्हारा योग से पावै, रुप तुम्हारा लखा न जावै॥
निराकर तुम हो निर्वाणी, महिमा तुम्हारी वैद बखानी ।
घट घट के तुम अन्तर्यामी, सिद्ध चौरासी करे प्रणामी॥
भरम अंग, गले नाद बिराजे, जटा शीश अति सुन्दर साजे।
तुम बिन देव और नहिं दूजा, देव मुनिजन करते पूजा ॥
चिदानन्द भक्तन हितकारी, मंगल करो अमंगलहारी ।
पूर्णब्रह्म सकल घटवासी, गोरक्षनाथ सकल प्रकाशी ॥
गोरक्ष गोरक्ष जो कोई गावै, ब्रह्मस्वरुप का दर्शन पावै।
शंकर रुप धर डमरु बाजै, कानन कुण्डल सुन्दर साजै॥
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा, असुर मार भक्तन रखवारा।
अति विशाल है रुप तुम्हारा, सुर नुर मुनि पावै नहिं पारा॥
दीनबन्धु दीनन हितकारी, हरो पाप हम शरण तुम्हारी ।
योग युक्त तुम हो प्रकाशा, सदा करो संतन तन बासा ॥
प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा, सिद्धि बढ़ै अरु योग प्रचारा।
जय जय जय गोरक्ष अविनाशी, अपने जन की हरो चौरासी॥
अचल अगम है गोरक्ष योगी, सिद्धि देवो हरो रस भोगी।
कोटी राह यम की तुम आई, तुम बिन मेरा कौन सहाई॥
कृपा सिंधु तुम हो सुखसागर, पूर्ण मनोरथ करो कृपा कर।
योगी सिद्ध विचरें जग माहीं, आवागमन तुम्हारा नाहीं॥
अजर अमर तुम हो अविनाशी, काटो जन की लख चौरासी ।
तप कठोर है रोज तुम्हारा को जन जाने पार अपारा॥
योगी लखै तुम्हारी माया, परम ब्रह्म से ध्यान लगाया।
ध्यान तुम्हार जो कोई लावै, अष्ट सिद्धि नव निधि घर पावै॥
शिव गोरक्ष है नाम तुम्हारा, पापी अधम दुष्ट को तारा।
अगम अगोचर निर्भय न नाथा, योगी तपस्वी नवावै माथा ॥
शंकर रुप अवतार तुम्हारा, गोपीचन्द भरतरी तारा।
सुन लीज्यो गुरु अर्ज हमारी, कृपा सिंधु योगी ब्रह्मचारी॥
पूर्ण आश दास की कीजे, सेवक जान ज्ञान को दीजे।
पतित पावन अधम उधारा, तिन के हित अवतार तुम्हारा॥
अलख निरंजन नाम तुम्हारा, अगम पंथ जिन योग प्रचारा।
जय जय जय गोरक्ष अविनाशी, सेवा करै सिद्ध चौरासी ॥
सदा करो भक्तन कल्याण, निज स्वरुप पावै निर्वाण।
जौ नित पढ़े गोरक्ष चालीसा, होय सिद्ध योगी जगदीशा॥
बारह पाठ पढ़ै नित जोही, मनोकामना पूरण होही।
धूप दीप से रोट चढ़ावै, हाथ जोड़कर ध्यान लगावै॥
अगम अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार।
कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार॥
सिद्ध पुरुष योगेश्वर, दो मुझको उपदेश।
हर समय सेवा करुँ, सुबह शाम आदेश॥
सुने सुनावै प्रेमवश, पूजे अपने हाथ।
मन इच्छा सब कामना, पूरे गोरक्षनाथ॥
Gorakhnath Chalisa Lyrics in English
gaṇapati girajaa putr ko sumiru baarambaar .
haath jod binatii karuu shaarad naam aadhaar ..
chopaaii
jay jay jay goraksh avinaashii, kṛpaa karo gurudev prakaashii .
jay jay jay goraksh guṇakhaanii, ichchhaa rup yogii varadaanii ॥
alakh niranjan tumharo naamaa, sadaa karo bhaktan hit kaamaa.
naam tumhaaro jo koii gaavai, janm janm ke duahkh nasaavai ॥
jo koii goraksh naam sunaavai, bhuut pisaach nikaṭ nahii aavai.
jñaan tumhaaraa yog se paavai, rup tumhaaraa lakhaa n jaavai॥
niraakar tum ho nirvaaṇii, mahimaa tumhaarii vaid bakhaanii .
ghaṭ ghaṭ ke tum antaryaamii, siddh chowraasii kare praṇaamii॥
bharam amg, gale naad biraaje, jaṭaa shiish ati sundar saaje.
tum bin dev owr nahin duujaa, dev munijan karate puujaa ॥
chidaanand bhaktan hitakaarii, mangal karo amangalahaarii .
puurṇabrahm sakal ghaṭavaasii, gorakshanaath sakal prakaashii ॥
goraksh goraksh jo koii gaavai, brahmasvarup kaa darshan paavai.
shankar rup dhar ḍamaru baajai, kaanan kuṇḍal sundar saajai॥
nityaanand hai naam tumhaaraa, asur maar bhaktan rakhavaaraa.
ati vishaal hai rup tumhaaraa, sur nur muni paavai nahin paaraa॥
diinabandhu diinan hitakaarii, haro paap ham sharaṇ tumhaarii .
yog yukt tum ho prakaashaa, sadaa karo santan tan baasaa ॥
praatahkaal le naam tumhaaraa, siddhi badhai aru yog prachaaraa.
jay jay jay goraksh avinaashii, apane jan kii haro chowraasii॥
achal agam hai goraksh yogii, siddhi devo haro ras bhogii.
koṭii raah yam kii tum aaii, tum bin meraa kown sahaaii॥
kṛpaa sindhu tum ho sukhasaagar, puurṇ manorath karo kṛpaa kara.
yogii siddh vicharen jag maahiin, aavaagaman tumhaaraa naahiin॥
ajar amar tum ho avinaashii, kaaṭo jan kii lakh chowraasii .
tap kaṭhor hai roj tumhaaraa ko jan jaane paar apaaraa॥
yogii lakhai tumhaarii maayaa, param brahm se dhyaan lagaayaa.
dhyaan tumhaar jo koii laavai, ashṭ siddhi nav nidhi ghar paavai॥
shiv goraksh hai naam tumhaaraa, paapii adham dushṭ ko taaraa.
agam agochar nirbhay n naathaa, yogii tapasvii navaavai maathaa ॥
shankar rup avataar tumhaaraa, gopiichand bharatarii taaraa.
sun liijyo guru arj hamaarii, kṛpaa sindhu yogii brahmachaarii॥
puurṇ aash daas kii kiije, sevak jaan jñaan ko diije.
patit paavan adham udhaaraa, tin ke hit avataar tumhaaraa॥
alakh niranjan naam tumhaaraa, agam panth jin yog prachaaraa.
jay jay jay goraksh avinaashii, sevaa karai siddh chowraasii ॥
sadaa karo bhaktan kalyaaṇ, nij svarup paavai nirvaaṇa.
jow nit padhe goraksh chaaliisaa, hoy siddh yogii jagadiishaa॥
baarah paaṭh padhai nit johii, manokaamanaa puuraṇ hohii.
dhuup diip se roṭ chadhaavai, haath jodakar dhyaan lagaavai॥
agam agochar naath tum, paarabrahm avataara.
kaanan kuṇḍal sir jaṭaa, amg vibhuuti apaara॥
siddh purush yogeshvar, do mujhako upadesha.
har samay sevaa karun, subah shaam aadesha॥
sune sunaavai premavash, puuje apane haatha.
man ichchhaa sab kaamanaa, puure gorakshanaatha॥